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तपका रहस्य ।
प्राप्त करना जानते हैं वे समझते हैं कि रोग एक ही है और वह बाहरी वस्तुओंके अथवा खराब चीजोंके शरीरके रक्तमें मिल जानेसे होता है। ____ जब देखो कि शरीरमें कोई पीडा या रोग है, तब समझ लो कि जो अवयव रक्त बनानेका कार्य करते हैं और जिनमें वास्तविक जीवनशक्ति रहती है वे अपना कर्तव्य पूर्ण नहीं कर रहे हैं । अतः रक्तमें जो मल एकत्रित हो गया है, उसको बाहर निकालना चाहिए। किन्तु जब यह कार्य करनेवाले अवयव अशक्त हो जाते हैं तब विषमय पदार्थोंको रक्तमेंसे भिन्न नहीं कर सकते । उस समय कठिनाई आ पड़ती है, बखेड़ा खड़ा हो जाता है और शरीरके आवश्यकीय अवयवोंके कार्यमें बाधा आ पड़ती है। जब ये अवयव शरीरमें से इन विषोंको बाहर निकालनेमें अशक्त हो जाते हैं तब तुम्हारे जीवनको बचानेके लिए रोग दिखलाई देता है
और वह मानों यह सूचित करता है कि भोजनको पचानेवाले अवयवोंका जो सदाका काम है उसे बन्द कर दो और उन्हें जहरको बाहर निकालनेके काममें लगा दो। इस तरह 'रोग' भी एक सहायक मित्र है। _ " आजकल ४० से ५० दिनोंतकका उपवास करना तो ( अमेरिकामें ) साधारण बात हो गई है। जिन लोगोंने इतने उपवास किये हैं, उनसे मैं मिला हूँ। मैंने सुना है कि एक अमेरिकनने ७० दिनका उपवास किया था ! इसे लोग बहुत आश्चर्यजनक समझेंगे; परन्तु वास्तवमें उपवास ही अशक्ति और अधिक
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