Book Title: Jain Hiteshi 1914 Ank 01 02
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 12
________________ जैनहितैषी - पुस्तकालयमें ३० जैनग्रंथ कन्नड़ भाषाके हैं । एक ग्रंथ हाल ही मिला है जिसका नाम 'जिनेन्द्र - कल्याणाभ्युदय ' है । यह संस्कृतमें है और इसके लेखक अय्यप्पाख हैं । इसमें जिनपूजाकी विधि लिखी है । यह ग्रन्थ सन् १३१९ का लिखा हुआ है । लेखकने वीराचार्य, पूज्यपाद, जिनसेन, गुणभद्र, वसुनंदि, इंद्रनंदि, आशाधर, हस्तिमल और एकसंधिका उल्लेख किया है । सन् १९७८ का लिखा हुआ एक ग्रंथ ' चंद्रप्रभ-शतपदि ' कन्नड़ भाषाका मिला है । १० श्रवणबेलगुलसे एक मील उत्तरको जिननाथपुर नामक ग्राम है । यहां 'शान्तिनाथ बस्ती' नामक मंदिर है । इसमें जिनदेवों, यक्षों, यक्षियों, ब्रह्म, सरस्वती, मनमथ, मोहिनी, ढोल बजानेवालों, बाजा बजानेवालों और नर्तकों इत्यादिकी मूर्तियाँ हैं । I आसपासके ग्रामोंमें दो हिन्दुओंके मंदिर हैं जिनके स्तंभ और अन्य अंश किसी समय जैनमंदिरोंके भाग रहे होंगे; परन्तु अब वे इन मंदिरों में लगे हैं। इन अंशों पर जो लेख मिले हैं; उनसे यह बात मालूम हुई है । अंकनाथपुर नामका एक उजाड़ ग्राम है । यहाँका भी हिंदुओंका मंदिर जैनमंदिरोंके अंशोंसे बना है । इसका नाम अंकनाथेश्वर है । इस हिन्दू मंदिर के दरवाजेके बगलके पत्थर पर एक जैन लेख मिला है और मंदिरके स्तंभ पर छोटी छोटी जैनप्रतिमायें बनी हुई हैं । लेख कोनगाव राजाके समयका है । मंदिरकी सीढ़ियों पर भी दो जैनलेख मिले हैं। एक जैनलेख मंदिरकी छतमें लगे हुए एक पत्थर पर मिला है । यह दशवीं शताब्दिका है । छतकी दो पटरियों पर चार जैनलेख और मिले हैं; ये भी 1 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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