Book Title: Jain Hiteshi 1914 Ank 01 02
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 11
________________ प्राचीन मैसूरकी एक झलक । wwwwwwwwwwww बनवाया था। श्रवणबेलगुलका सबसे बड़ा मंदिर भंडारी-बस्ती' है। यह बारहवीं शताब्दिके उत्तरार्द्धका बना हुआ मालूम होता है । इसके फर्शमें जो पत्थरके चौके लगे हैं वे बहुत बड़े हैं। अधिकांश १२ फीट लम्बे ६ फीट चौड़े और ९ इंच मोटे हैं। न मालूम ये यहाँ किस तरह लाये गये होंगे। एक मंदिरमें एक प्रतिमामें पंचपरमेष्ठीकी मूर्तियाँ बनी हैं। ___ यहाँ पर एक 'जैनमठ' भी है । मठकी दीवारों पर जिनदेवों और जैनराजाओंके जीवनोंके अनेक दृश्य चित्रोंद्वारा दिखाये गये हैं। एक चित्रमें 'कृष्णराजा उडेयर ( तृतीय)' सिंहासन पर बैठे हैं । एक चित्रमें पंच परमेष्ठि, श्रीनेमिनाथ, यक्ष, यक्षी, और मठके खामी हैं। एक चित्रमें श्रीपार्श्वनाथके समवसरणका दृश्य है । एक और चित्रमें महाराज भरतजीके जीवनके दृश्य हैं। मठकी कई मूर्तियों पर नवीन लेख मिले हैं। एक ताल और पर्वत पर भी कई लेख मिले हैं। इनमेंसे अधिकांश तामिल और ग्रंथलिपियोंमें हैं। इस मठके पुस्तकालयमें बहुतसे जैनग्रन्थ हैं । इसी ग्राममें पंडित दौर्बली शास्त्री रहते हैं। इनके निजी पुस्तकालयमें ताड़ और कागज़ पर लिखे हुए लगभग ५०० जैनग्रंथ हैं । पंडितजी अपने ग्रंथोंको बड़ी सावधानीसे सुरक्षित रखते हैं । वे उनको दिखानेको भी तैयार हैं। सरकारने इन ग्रंथोंकी एक सूची प्राप्त कर ली है। ताडपत्रों पर लिखे हुए. कुछ ग्रंथ एक गज़से अधिक लम्बे और ६ इंचसे अधिक चौड़े हैं। इनमें से बहुतसे अभी प्रकाशित नहीं हुए हैं। कुछ ऐसे हैं जो मंठके पुस्तकालयमें भी नहीं है। यहीं पर एक और महाशयके Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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