Book Title: Jain Darshan me Nischay aur Vyavahar Nay Ek Anushilan
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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[ बाईस ]
अध्याय
पृष्ठांक
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संज्ञादिगतभेद : अतद्भाव
स्वस्वामित्वादिभेद का हेतु कर्ताकर्मत्वादिभेद का हेतु अभेद में भी स्वस्वामित्वादि-व्यपदेश की उपपत्ति अनेकत्व का हेतु
सविशेषत्व का हेतु वस्तु-अवबोधनार्थ षष्ठी आदि व्यपदेश अभेद की अपेक्षा गुणगुण्यादिलक्षण की उपपत्ति
सद्भूतव्यवहारनयात्मक उपदेश के प्रयोजन षष्ठ : व्यवहारनय के भेद
असद्भूतव्यवहारनय के भेद उपाधिमूलक असद्भूतव्यवहारनय के भेद
द्रव्यपर्यायावलम्बी
भावपर्यायावलम्बी भावपर्यायावलम्बी के भेद
अशुद्धनिश्चयनय एकदेशशुद्धनिश्चयनय
शुद्धनिश्चयनय अशुद्धनिश्चयनयात्मक निरूपण एकदेशशुद्धनिश्चयनयात्मक निरूपण शुद्धनिश्चयनयात्मक निरूपण उपचारमूलक असद्भूतव्यवहारनय के भेद
अनुपचरित
उपचरित सद्भूतव्यवहारनय के भेद
उपचरित
अनुपचरित सप्तम : निश्चय और व्यवहार की परस्परसापेक्षता
परस्पर पूरक परस्पर अविनाभावी निरपेक्षा नया मिथ्याः परस्परसापेक्ष नय ही अज्ञाननिवारक
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