Book Title: Jain Aur Bauddh ka Bhed
Author(s): Hermann Jacobi, Raja Sivaprasad
Publisher: Navalkishor Munshi

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Page 13
________________ (१०) जो तीसरे श्लोक में लिखा है वही विक्रम है जिसने सन् ईसवी से ५७ बरस पहले संवत् चलाया और सन् ईसवी ७८ का शाका चलानेवाला शालिवाहन ही है ६० बरस पालक के राज के और १०५ नवनन्दी के अथात् २१५ बरस चंद्रगुप्त के अभिषेक में अर्थात् सन् ईसवी से पहले ३१२ में मिलाने से महावीर का निर्वाण सन् ईसवी से ५२७ बरस पहले ठहरता है सिंहल अर्थात् लंकावाले बुद्ध का निर्वाण सन् ईसवी से ५४३ बरस पहले मानते हैं पस कुल १६ बरस का फर्क रह जाता है। हेमचन्द्र अपने परिशिष्टापर्व में लिखता है "एवं च श्रीमहावीरे मुक्ने वर्ष शते गते। पंच पंचाशदधिके चंद्रगुप्तो भवन्नृपः॥१॥” इससे यह बात निकलती है कि महावीर के निर्वाण से १५५ बरस पीछे चंद्रगुप्त का अभिषेक हुआ हेमचंद्र पालक के राज का ६० बरसें नहीं लेता इस कारन महावीर का निर्वाण हेमवेद्र के अनुसार ४६७ बरस सन् ईसवी से पहले पड़ता है और सिंहलवालों की भूल जो अजे सही की गई है उस के अनुसार बुद्ध का निर्वाण भी ४७७ बरस सन् ईसवी से पहले पड़ता है कि जिस से कुल १० बरस का फर्क रह जाता है और यही शुद्धतर 'मालूम होता है । इति Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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