Book Title: Jain Aur Bauddh ka Bhed
Author(s): Hermann Jacobi, Raja Sivaprasad
Publisher: Navalkishor Munshi

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Page 11
________________ तो भी उस में कोई बात ऐसी नहीं है कि जिस से निगंठनात पुत्त और महावीर दोनों एक न होसकें आत्मावतार और वैश्यन्तर इत्यादि बौद्ध पुस्तकों में लिखाहै कि अपने पहले शिष्य उपालि से कि जो बौद्ध होगया था लड़कर निगंठनात पावा में मरे कल्पसूत्र महावीर का निर्वाण पावा में बतलाता है और जैन जती निगंठ कहलाते थे पस इसमें कुछ संदेह नहीं कि निगंठनाथसे मतलब महावीरहीसे है ॥ सिवाय इसके इस बात का कि बुद्ध और महा. वीर दोनों जुदा जुदा थे पर एकही समय में जैनकी तारीखों से पक्का पता लग जाता है बुद्ध का निर्वाण सन् ईसवी से ४७७ बरस पहले हुआ और महावीर का निर्वाणस्वेताम्बरी जैनियों के कहने बमूजिब विक्रमके संवत्से ४७० बरस पहले और दिगम्बरियों के बमुजिब ६०५ बरस पहले हुआ यह १३५ बरस का फर्क जो दोनों आमनायवालों के बीच में पड़ा है विक्रम संवत् और शालिवाहनकेशाके का है विक्रम के संवत् से ४७० बरस पहले निर्वाण हुआ यह स्वे. ताम्बरियों की बहुत पुस्तकों में लिखा है सब से पुराना प्रमाण वह है जो मेरुतुंगके विचार श्रेणी की जड़ है और निर्वाण का संवत् राजाओं के काल से निर्णय किया है। "जंस्यणि काल गओ अरिहा तित्थं करो महावी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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