Book Title: Jain Aur Bauddh ka Bhed
Author(s): Hermann Jacobi, Raja Sivaprasad
Publisher: Navalkishor Munshi

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Page 9
________________ उनके कई पुराने इतिहासों से हाथ लगता है जैसे बौद्ध लोग साफ़ कहते हैं कि अजातशत्रु ने अपने बापको मारडाला और वह बौद्ध होनेसे पहले बहुत बद और ख़राब था जैनी लोग कूणिक अर्थात् उसी अजातशत्रु को जानी बूझी पितृहत्या के दाग से बचाने की कोशिश करते हैं क्योंकि निरयावलि सू. त्र के अनुसार कुणिक ने अपने बापको अपने लिये अन्याई समझ के कैद कर दिया था परंतु जब अपनी मा से सुना कि उसका बाप तो उसे सदा प्यार करता रहा है और कोई बात ऐसी नहीं की कि जिस से कैद के योग्य हो कुणिक अपनी माकी बात मान के एक कुठार लेके अपने बाप की बेड़ियां काटने को चला उसके बाप श्रेणिक अर्थात् बिम्बिसार ने यह समझके कि कुठार से मुझे मारने को आता है उसे इस पाप से बचाने के लिये अपने तई आप मारडाला अर्थात् आत्मघात किया कूणिक बहुत पछताया और बाप का मरा देख के बड़ा दुखा हुआ इस से मालूम होता है कि अजातशत्रु ने बौद्धों को मदद देने से पहले जैनियों पर कृपादृष्टि की थी॥ ___ मथुरा में कंकली टीले से जेनरल कनिंघम ने एक नंगी खड़ी मूरत निकाली है उस पर खुदाहुआ है “नमो अर्हत महावीर देवनास" इस से ज़ाहिर है कि यहां महावीर से मुराद वर्द्धमान है बुद्ध नहीं Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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