Book Title: Jain Aur Bauddh ka Bhed Author(s): Hermann Jacobi, Raja Sivaprasad Publisher: Navalkishor Munshi View full book textPage 7
________________ ( ४ ) मक्खलि मंखलि या मक्खलि का बेटा बिम्बिसार या विभिसार और लिच्छवि या लेच्छई राजा विलसन के मुवाफिक यह दलील ठहरती है कि शाक्यसिंह और वर्द्धमान के लकब और नाम वही बुद्ध जिन और महावीर दोनों दर्जकरते हैं और स्त्री दोनों की यशोदा लिखी है लेकिन इसके सिवाय और कोई बात जो बुद्ध के लिये लिखीगई है वर्द्धमान के सुवाफ़िक नहीं पड़ती है मसलन दोनों के रिश्तादारों के नाम और जन्मभूमि चेले उमर और उनके वाक़िआत और दोनों के चाल चलन जहांतक कि वे उन के उपदेश से मालूम होते हैं बिल्कुल जुदा २ हैं निदान महाबीर और बुद्ध दो आदमी थे परन्तु एकही समय में और इसीलिये दोनों का मत एकसा मालूम होता है क्योंकि दोनों की जड़ एक थी और दोनों ब्राह्मयों के बख़िलाफ़ कि जैसी उस समय के लोगों की तबीअत ही होगई थी क्योंकि सामन्नफलसूत्र में छओं वादियों का हाल पढ़ने से जो बुद्ध के समयमें थे ज़ाहिर होता है कि सब नये नये मत निकालना चाहते थे. बुद्ध बढ़गया तो क्या अचरज है कि महावीर का सत भी जड़ पकड़ गया अब हमको उनकी भी सुननी चाहिये जो बौद्ध को जैन से पहले मानते हैं वह कहते हैं कि जैनियों में जात्तिभेद है अर्थात् ब्राहाण का बौद्धों को निकालने लगे बौद्ध जाति भेद Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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