Book Title: Jain Aur Bauddh ka Bhed Author(s): Hermann Jacobi, Raja Sivaprasad Publisher: Navalkishor Munshi View full book textPage 6
________________ (३) नाश होनेपर निकला समझता है वेवर जैन को इस से पुराना जानता है लेकिन बौद्धों को उस से भी आगे लासन वेबर का साथी है बिलसन के अनुसार यह कहा जासक्ताहै कि जैन सूत्र महावीर को केवल विहार का रहनेवालाही नहीं बतलाते कि जहां बुद्ध रहा और उपदेश दिया बल्कि बुद्धका सहकाली और उन्हीं राजाओं की सहाय में उसे लिखते हैं जो बुद्ध के सहकाली थे अगर्चि श्रेणिक और कूणिक या कोणिक वह नहीं हैं जिनका नाम अक्सर बौद्ध ग्रन्थोंमें पाया जाता है तो भी श्रेण्य या श्रेणिक बिम्बिसार का विरुद मालूम होता है और उस के बेटे कुणिक का नाम औपपात्तिक सूत्र में बिम्बिसार पुत्र लिखा है हेमचन्द्र बम्भसार लिखता है यह बिम्बिसार का बेटा अजातशत्रु मालूम होता है क्योंकि जैन और बौद्ध दोनों उन दोनों को लिखते हैं कि अपने पाप को मारडाला था कूणिक का बेटा उदायिन जिसने जैनियों के मुताबिक पाटलिपुत्र बसाया था वही उदयि अजातशत्रु का बेटा है जिसको बौद्ध पाटलिपुत्र का बसानेवाला मानते हैं इस में किसी तरह का सं. देह नहीं कि बुद्धके सहकाली बिम्बिसार और मजा. तशत्रु श्रेणिक और कुणिक के नाम से जैन अंगों में महावीर के सहकाली लिखे हैं इन से छोटों पर भी यह बात ठीक ठहरती है जैसे गोसाल मंखलिय Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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