Book Title: Haryanvi Jain Kathayen
Author(s): Subhadramuni
Publisher: Mayaram Sambodhi Prakashan

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Page 15
________________ लोक नाट्य के रूप में। गद्य के रूप में हरियाणवी साहित्य लगभग नहीं है । कथाकार गुरुदेव श्री सुभद्र मुनि जी महाराज ने इस अभाव को रचनात्मक ढंग से अनुभव किया, जिसका परिणाम है यह कहानी संकलन । वास्तव में यह ऐसा प्रथम संकलन है, जिस में हरियाणवी को ही सभी कहानियों की अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया गया है। इस दृष्टि से इन का ऐतिहासिक महत्त्व निर्विवाद रूप से स्वतः सिद्ध है । यह रचना इस बात का जीता-जागता प्रमाण भी है कि हरियाणवी हिन्दी की एक ऐसी बोली है, जिसमें स्वतंत्र भाषा के लिए अपेक्षित क्षमताएं और सम्भावनाएं पर्याप्त मात्रा में मौजूद हैं । हरियाणवी का यह दुर्भाग्य है कि अब तक उसे विविध गद्य विधाओं की समर्थ रचनायें लिपिबद्ध रूप में प्राप्त नहीं हो सकीं। हरियाणवी के बोली मात्र रह जाने के प्रमुख कारणों में से यह भी एक है। अन्यथा समर्थ सहित्य संपदा के कारण हरियाणवी को भी उसी तरह 'भाषा' की मान्यता प्राप्त होती, जिस तरह मध्य काल में अवधी और ब्रज को प्राप्त हुई। 'हरियाणवी जैन कथायें' इस दृष्टि से भी ऐतिहासिक महत्त्व की सहज अधिकारिणी कृति है । यदि इसी प्रकार हरियाणवी की साहित्य - श्री समृद्ध होती रही तो वह दिन दूर नहीं जब हरियाणवी को भी एक समर्थ भाषा माना जाने लगेगा । यदि ऐसा हुआ तो 'हरियाणवी जैन कथायें जैसी कृतियां हरियाणवी साहित्य भवन की मजबूत और गौरवशाली नींव सिद्ध होंगी । अनेक हरियाणवी विद्धान् और साधारण पाठक आश्चर्य चकित रह जायेंगे यह देख कर कि हरियाणवी में ऐसी कहानियां भी रची और लिखी जा सकती हैं । हरियाणवी साहित्य के लिए गुरुदेव का यह मौलिक और वृद्धिकारी योगदान अविस्मरणीय रहेगा । धर्म इस पुस्तक की आत्मा है और हरियाणवी इसका शरीर । साहित्य-समीक्षा की शब्दावली का प्रयोग किया जाये तो धर्म इसकी अंतर्वस्तु है और हरियाणवी इसका रूप । यहां अभिव्यंजित धर्म की विशेषता है कि दुरूहता इसमें लेशमात्र भी नहीं । हरियाणा के लोगों की तरह सीधे-सीधे साफ साफ ढंग से अपनी बात ये कहानियां कहती हैं । यही कारण है कि इन्हें पढ़ने वालों को यह कहीं नहीं लगता कि वे जैन धर्म के उच्चतम मूल्यों को पढ़ रहे हैं जबकि वास्तविकता यही है । यह इन कहानियों की सहजता का सूचक है। महान् उद्देश्यों को इतने सहज-सरल ढंग से अभिव्यक्त करना सभी रचनाओं के लिए एक दुःसाध्य चुनौती रही है, जिसे ये कहानियां बखूबी साध लेती हैं। व्यापक पाठक वर्ग की उत्सुकता निरन्तर जगाये रखते हुए ये जैन धर्म की अनेक मान्यताओं से उसका सहज परिचय करा देने में पूर्णतः समर्थ हैं । इनकी सामर्थ्य का एक पक्ष यह है कि जीवन के जटिल से जटिल प्रसंगों को भी उस हरियाणवी में ये आसानी से पिरो देती हैं, जिसके अस्तित्व का आधार ही रहा है -सहजता । जैसे 'आत्मालोचना' जीवन का एक जटिल प्रसंग है, 'आनंद का खुज्जाना' शीर्षक कहानी में 'कप्पिल' चोरी का संदेह होने के कारण राजा के पहरेदारों द्वारा पकड़ा जाता है। न्याय के लिए राजदरबार में उसे पेश किया जाता है तो वह अपने निर्दोष होने से जुड़ी बातें बताता (x)

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