________________
साच्चे गरू योगिराज सिरी रामजीलाल जी म्हाराज
भारत बरस में एक महान संत होए परम सरधेय योगिराज सिरी रामजी लाल जी म्हाराज । उनका जनम हरियाणे कै बड़ौदा गाम मैं सम्मत १९४७ के भादुए के म्हीने की बदी नौमीं के दन (अगस्त १८६०ई.) होया था। उनके पिता जी चोधरी सुखदयाल अर माता सिरीमती लाड्डो बाई थी। बालक के जनम तैं उननैं मन मांगी मुराद मिलगी। बात या थी चौधरी सुखदयाल हर तीन भाई थे। उन तीनुआं के योगिराज जी-ए एकले छोरे थे । जाएं तै उनके होण की खुसी चोगरदे के ओर भी घणी थी । जिब उन नैं जनम लिया तै सारे कुणबे नैं त्युहार मनाया। बालक का नां धर्या रामजीलाल ।
खेल - कूददे होए बालक रामजीलाल दूज के चन्द्रमा की ढालां बड्डे होण लाग्गे । सब उनत्ती घणा-ए लाड प्यार करें थे। रामजीलाल जी आपणे बड्यां की खूब ए इज्जत करें थे। उनका कहूया मानें थे । आस्ता-आस्ता वे जुआन हो ग्ये । जुआन हो कै वे पूरे ए कद्दावर लिकड़े । जितनी ताक्कत उनकी देही मैं थी, उनके जी मैं उस तै भी घणी हिम्मत थी । न्यूं देख कै बड़ोद्दे के जुआन उनके धोरै कट्ठे होण लाग्गे । रामजीलाल जी उनके परधान बण गे । सारे गाम मैं उनकी जुआन पाल्टी का रूक्का पड़ गया। छोरां की इस पाल्टी ते सारे लोग डर्या करदे ।
साच्चे गरू योगिराज सिरी रामजीलाल जी म्हाराज / 113