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गजसुकुमाल नैं माड़ा-सा भी छोहू ना आया । वे आपणे ध्यान मैं कत्ती अटल खड़े रहे । फेर उन नैं केवल ग्यान हो गया। यो ग्यान होतेएं आदमी परमातमा बण ज्या सै । सरीर छोड कै गजसुकुमाल मुनी मोक्स मैं चले गए। वे भगवान् बण गे ।
दूसरे दन सिरी किरसन जी भगवान् नेमिनाथ धोरै पहोंचे। उन्नैं गजसुकुमाल मुनी के बारे मैं बूज्झया । भगवान् नेमिनाथ नैं बता दी अक वे समसाण मैं जा कै ध्यान करण लाग्गे । गेल्लां- ए ओड़ै जो कुछ होया, ओ भी सब किमे बता दिया ।
सिरी किरसन नैं ये सारी बात सुण के अचंभा होया । उन नैं बूज्झ्या"एक्कै दन मैं गजसुकुमाल नैं इतना बड्डा ग्यान क्यूकर हो गया?” भगवान् नेमीनाथ नैं उनके सिर पै धरे होए सुरख अंगारां की बात बता कै कही- जो किस्से पै छोहू ना करै, दुस्मन अर दोसत का फरक मिटूया दे, ओ भगवान् बणज्या सै । सिरी किरसन नै जिब्बै-ए छोहू आ गया। उन नैं बूज्झ्या, “ईसा भूंडा ब्योहार किस कर्या? मैं उसने जिन्दा ना छोड्डूं । ”
भगवान् नेमीनाथ नैं कही, “नगरी मैं बड़तें-एं तमनैं बेरा पाट ज्यागा । एक आदमी थारे स्यांमीं आवैगा । तम नैं देखते - ए ओ डर कै जमीन पै है पड़ेगा अर मर ज्यागा । तम समझ लियो अक यो हे ओ आदमी सै। "
सिरी किरसन जी द्वारका कान्नीं उलटे आए । न्युन्नै सोमिल नैं किरसन के छोहू का बेरा लाग्या । पराण बचाण खात्तर ओ भाज्या | भाजदा होया किरसन जी के स्यांनीं आ ग्या । किरसन नैं देख कै डर ग्या अर भाजदा होया ओड़े-ए जमीन पै है पड्या । पड़ते-एं उसके पराण लिकड़
एक दन में मुकती / 57