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या बात सुण कै ओ देवता कामदेव की घणी तारफ करण लाग्या । बोल्या- तू धन सै, तू साचा जैन सरावग सै, तेरी भगती जमा साची सै । न्यूं कहैन्दा-कहैन्दा सुरग कान्नी चाल्या गया। जाकै उसनै इन्दर महाराज तैं सारी बात बताई अर, कामदेव की घणी-ए बड़ाई करी। उसकी बात सुण के सारे देवत्यां नैं कामदेव की जै-जैकार करी।
हरियाणवी जैन कथायें/104