________________
જીવ અધ્યયન
૧૭૫
४३. मा ५२ना :
સંસાર સમાપન્નક જીવ આઠ પ્રકારના કહ્યા છે, જેમકે(१) प्रथम समय नैथि :, (२) अप्रथम समय नैयि, (3) प्रथम समय तिर्थययोनि, (४) प्रथम समय तिर्थययोनि, (५) प्रथम समय मनुष्य, (s) प्रथम समय मनुष्य, (७) प्रथम समय , (८) सप्रथम समय १५.
४३. अट्टविहा जीवा
अट्ठविहा संसारसमावण्णगा जीवा पण्णत्ता, तं जहा१. पढमसमयनेरइया, २. अपढमसमयनेरइया,
पढमसमयतिरिक्खजोणिया,
अपढमसमयतिरिक्खजोणिया, ५. पढमसमयमणुस्सा, ६. अपढमसमयमणुस्सा, ७. पढमसमयदेवा, ८. अपढमसमयदेवा।
- ठाणं.अ.८, सु. ६४६/१ ४४. णवविहा जीवा
णवविहा संसारसमावण्णगा जीवा पण्णत्ता, तं जहा१. पुढविकाइया, २. आउक्काइया, ३. तेउक्काइया, ४. वाउक्काइया, ५. वणस्सइकाइया, ६. बेइंदिया, ७. तेइंदिया, ८. चउरिंदिया, ९. पंचेंदिया।
- ठाणं. अ. ९, सु. ६६६/१ ४५. दसविहा जीवा -
दसविहा संसारसमावण्णगा जीवा पण्णत्ता, तं जहा१. पढमसमयएगिदिया,
अपढमसमयएगिदिया, पढमसमय बेइंदिया, अपढमसमय बेइंदिया, पढमसमय तेइंदिया अपढमसमय तेइंदिया, पढमसमय चउरिदिया.
अपढमसमय चउरिंदिया, ९. पढमसमय पंचेंदिया, १०. अपढमसमय पंचेंदिया।३
___ - ठाणं.अ.१०, सु. ७७१/१
४४. नव प्रश्न :
સંસાર સમાપન્નક જીવ નવ પ્રકારના કહ્યા છે, જેમકે(१) पृथ्वीय, (२) अयि, (3) 625, (४) वायुायि, (५) वनस्पति यि5, (5) मेन्द्रिय, (७) तेन्द्रिय, (८) यन्द्रिय, (e) पंथेन्द्रिय.
४५. सारना on:
સંસાર સમાપન્નક જીવ દસ પ્રકારના કહ્યા છે, જેમકે(१) प्रथम समय मेन्द्रिय, (२) प्रथम समय मेन्द्रिय, (3) प्रथम समय पेन्द्रिय, (४) अप्रथम समय मेन्द्रिय, (५) प्रथम समय तेन्द्रिय, () अप्रथम समय तेन्द्रिय, (७) प्रथम समय ५७२न्द्रिय, (८) प्रथम समय 46न्द्रिय, (e) प्रथम समय पंयेन्द्रिय, (१०) अप्रथम समय पंथेन्द्रिय.
१.
जीवा.पडि.६, सु. २२६
२.
जीवा.पडि.८, सु. २२८
३.
जीवा. पडि. ९, सु. २२९
www.jainelibrary.org
Jain Education International
For Private & Personal Use Only