Book Title: Dankatha arthat Vajrasen Charitra
Author(s): Bharamal Sanghai
Publisher: Jain Bharti Bhavan Kashi
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कथा
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सोभा बरनत होय अबार । मानौ स्वर्गपुरी अवतार ॥४८॥ ताहि नगर इक सेठि सुजान । सोमसैन तसु नाम बखान ॥ पूरव पुन्य उदय अब सोय । जाके घर लछिमी बहु होय ॥४६॥ ताके एक सुता अवतरी । मदनवती जानो गुनभरी ॥ सुन्दर रूप अधिक गुनधार । मानौ सुर कन्या अवतार ॥५०॥ ताकी सगाई टीका सार । बज्रसैनकौं भेजो हार ॥ पहुंचो विप्र धारापुर जाय । सुनिकै सेठि महा सुखपाय ॥५१॥ | नगर बुलावा दीनो जबै । जुरे नगर नर नारी तबै ॥
जुवतीं गावें मंगलचार । अनँद बघाए होत अपार ॥५२॥ घरी मुहूरत दिन सुधवाय । टीका कुमरको लयो चढ़ाय॥ जाचक जनकों दान जु दयो । सज्जनको सनमान सु लयो ॥५३॥
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