Book Title: Dankatha arthat Vajrasen Charitra
Author(s): Bharamal Sanghai
Publisher: Jain Bharti Bhavan Kashi

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Page 72
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आबै बैरी ग्रेह पहनो है सही । ऐसी कहौ न बात नारि ऐसें कही ॥४६॥ चौपाई। Bघर आयो तुमरे भूपाल । तासु करौ सनमान सु हाल ॥ धन्य नारि जे हैं जग माहिं । ऐसी पतिकों सीख दिवायें ॥४७|| Bइतनी सुनिकै तबै कुमार । नृप स्वागतकों निकसोद्वार ॥ अादर बहुत करो सनमान । षटरस भोजन बीरा पान ॥४८॥ तवहीं भूपति कैसें कही। कुमर बात तुम सुनियों सही ॥ चूक माफ हमरी अब होय । चालौ देश आपने सोय ॥४॥ तबै कुमर फिरि कैसें कही । हो महराज सुनो अब सही ॥ धारापुर नगरीके माहिं । जीवत तौ चलनेको नाहिं ॥५०॥ तबही भूपति ऐसें कही । भो कुमार सुनियों तुम सही॥ जो तुम अब नहिं चलौ कुमार। तो में प्रान तजों तुम द्वार ॥५१॥ AAAAAAWAVANORA For Private And Personal Use Only

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