________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
AAAAAAAAAAAAABAvi
धनि यह समझ सोबुद्धि जु जिनकी धनि यह धीरजधारी ॥१॥ इह तौ कथन अब रहो इहांई और सुनो मनलाई । द्रोन नगरके भूपतिने पुनि जे खबरें सुनिपाई ॥ मंत्री तुम्हारे दीक्षा धारी सुनिक विरकित होई।। धृग यह राज सो लछिमी जानौ जामै सार न कोई ॥१४॥ जेठे सुतकौं राज सु दीनो सबसों छिमा कराई । तब पटरानी सों नृप बोलो नारि सुनो मनलाई ॥ मै तौ जाउं अरनिके माहीं होउं मुनीश्वर सोई । मो पर छिमा अब सबही कीजौ चिंत करौ मति कोई॥१५॥ तब रानी सब कैसे बोलीं धनि भूपति सुखकारी। धनि धीरज अब तुम्हरोजानौ धनि यह बात बिचारी।। हमहूं चलिहैं संग तुम्हारे होय महाव्रत धारी।
ABAVANAGAVAILASAVAAVA
-
For Private And Personal Use Only