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सोतौ एक अरनिके माहिं । दोनो देखे तहां फिराहिं ॥८॥ ईंधनके धारै शिर भार । फिरें तहां दोनों नरनारि॥ तब किंकरने कैसें कही । कुमर बचन सुनियो तुम सही॥१॥
चलि छंद । अायो अब भ्रात तुम्हारो । जाने सब काम सम्हारो॥ अब तुमहुं बुलाए सोई । चलो ढील करो मति कोई ॥८॥ | तब दुष्टने कैसें कही है । हम बात सुनो जु सही है ॥ बाकों बहुत करो तो उपाई । कछु कसरि मैं राखी नाहीं ॥३॥ मारनको मोहि बुलावै । मेरी भुसखाल भरावै ॥ मैतो जानेको नाहीं । बेंचि ईंधन उदर भराई ॥४॥ तब बोली कैसें नारी । पिय बात सुनोसु हमारी॥ पुन्यवंत पुरुष जगमाहीं । भौगुन पर गुनहीं कराहीं ॥५॥
CAMPARAGARAA
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