________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
कथा
दान
-
हा ऐसी चूक कहा है सोई । ता” बाको बिचारत द्रोही ॥६॥
तातै बलमा सुनि लीजै । ऐसी बात न फेरि कहीजै॥ ६ अब कहि सु कही तुम जोई । ऐसी कहन जोग नहिं तोई॥१०॥
बोलो तब दुष्ट गमारी । मेरी बात सुनो बरनारी ॥ निह. विष दै करि मारौं । और बात कछू न विचारौ॥ ११ ॥
तब बोली कैसें नारी । पिय बात सुनौ जु हमारी ॥ 12 बह तो कुलदीपक जानौ । अधिको गुनवंत बखानो॥ १२ ॥
बाके आगे जानौ सोई । तुम्है आँच न आवै कोई ॥ नित प्रति करौ भोग विलासी । बहतौ सु गुननकी रासी ॥ १३ ॥ तातें बलमा सुनि लीजै । ऐसे भ्रातकों द्रोह न कीजै॥ बोलो तब दुष्ट गमारी। मेरी बात सुनो बरनारी ॥१४॥
VAAVA
For Private And Personal Use Only