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दान
कथा
। जो भ्रात मरन कहुं होई। फिर मिलनो दुर्लभ सोई ॥२०॥
तातै बलमा सुनि लीजै । भ्राताकों द्रोह न कीजै॥ | फिरि दुष्टने कैसें कही है । मारौं निश्चै जु सही है ॥२१॥ बोली चतुरंग जु नारी । सांई सुन बात हमारी ॥
जह बात ठीक नहिं कोई । भ्राताकौं बिचारत द्रोही ॥२२॥ है जो कहुं भूपति सुनि पावै । अधिको तुम्हे दंड दिबावै ॥ | धन लक्षि लेय लुटबाई । अरु देश” देय कढ़ाई ॥२३॥
अपजस होबै जगमाहीं । जह कौन कुमति तुम्हे आई॥ . | तातै बलमा सुनि लीजै । ऐसी बात न फेरि कहीजै ॥२४॥ | इस विधिसों नारि समझाबै । बाके मन एक न अाबे॥ तब नारिसों कैसें कही है। हम बात सुनो जु सही है ॥२५॥
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