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कथा
सरMetroM
मुनिवर तो बनकौं गए करुनानिधि ते सार। पीछे तब भोजन करो दोनों हैं नर नारि ॥दान॥३६॥ इस विधिसों जब कुमरने मुनिकौं दयो बाहार । ऋषिकरपै कर जब धरो धनि जाको अवतार ॥दान॥४०॥
चौपाई। | भूपकान तब परी अबाज । देव दुन्दभी बाजै अाज ॥ भूपति जानी मनमें सार । काई मुनिकौं दयो अहार ॥४१॥ जय जय शब्द गगनमैं होय । मेरो भाग भयो नहिं कोय ॥ जसबल तुरत दए पठवाय । देखौ कौन तलास कराय ॥४२॥ अायो देखि जब जसबल कही। हो महराज सुनो तुम सही ॥ परदेशी नरनारी दोय । बैठे बनमैं ते अब सोय ॥४३॥ | तिन श्रीमुनिकों दयो अहार । बरषे हैं तहँ फूल अपार ॥
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