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है दोहा-इस विधिसों नृपराजकों , भयो देवपद सार ॥ और कथन आगे अबै , सुनो सबै विस्तार ॥११॥
चौपाई । अब भूपति सुत जानौ सोय। नाम जसोमति ताको होय ॥
सोतौ राज करै सुखकार । प्रागें और सुनो विस्तार ॥२|| है। मंत्री पुराने जानो सोय । बज्रसैन, राखे नहिं कोय ॥
सो घर बैठि रहो सु कुमार। कबहूं न जाय नृपति दरबार ॥६॥ | एक दिवस बह दुष्ट गॅमार । गयो हतो नृप सभा मझार ॥
भूपतिसैं तब कैसे कही । हो महराज सुनो तुम सही ॥४॥
मेरो लघु भ्राता भूपाल। श्रावन पाय नहीं दरबार॥ 12 बहती राज बिनाशन हार । निह● जानौ तुम भूपाल ॥६५॥
जो अब हुकुम तिहारो होय ।बाको करौं उपाय जु सोय ॥
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