Book Title: Dankatha arthat Vajrasen Charitra
Author(s): Bharamal Sanghai
Publisher: Jain Bharti Bhavan Kashi

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Page 24
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir cheendeheroenamewomentences अब जेठो महासैन कुमार । मतिको हीन सुजाति गमार॥६॥ | बरसीं बीतीं अब सोय । नृप दरबार न जावै कोय ॥ एक दिवश भूपति तब कही। बज्रसैन तुम अाबौ सही ॥४॥ जेठो भ्राता तेरो सोय । मो दरबार न आवै कोय ॥ बरपैंसी जुबीति अब गईं । घरही मैं रहै बैठो सही॥६५॥ | तब कुमार बोलो करजोरि । हो महराज सुनो सु बहोरि ॥ बिनकों तौ घर काम अपार । श्रावत नाहिं बने दरवार ॥१६॥ मोपर हुकुम तिहारो होय । तुम दरबार रहों नित सोय॥ इतनी सुनि करि भूपति जबै । अधिक पसन्न भए सो तबै ॥६७ तुरतहिं लयो गजराज मगाय । सो कुमरा दीनो पहिराय ॥ कुंडल कड़ा पहिराए जबै । साल दुसाला जानो तबै ॥८॥ CANOAAAAA For Private And Personal Use Only

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