Book Title: Bhimsen Harisen Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

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Page 13
________________ (११ । मासे डोहलो लह्यो, हरीयो वन कियो अवलोकन तो ॥ डोहलो पूर्णं नव मासमें, राणीजी जायो पुत्र रतन तो ॥ २४ ॥ हरीसेण नाम स्थापीयो, पांचो धाय करे प्रतीपाल तो ॥ सुक्केंदु ज्यों मुख बधे, चंपो बधे जिम गिरीवर ढाल तो ॥ दोनू बं. धूके प्रीती घणी, विरह न वांडे एक विण काल सो ॥ खान पान क्रिडा शयन, एकी स्थान करे उजमाल तो ॥ सु० ॥ २५॥ विज्ञान वय जब प्रगमी, विद्या ज्यासे बेठाया निशाल तो ॥ स्वल्प काले स्वल्प उद्यमे, प्रवीण जया पुंन्य बुद्धी विशाल तो ॥ बहोत्र कला नरकी नण्या, महीला की चोसठ सीख्या ते काल तो॥ राजनीती धर्म नीतीनी, शिक्षा ग्रही आया जिहां नूपाल तो ।। ॥ २६ ॥ प्रश्नोत्तर केइ किया,पंडितने घणो दि. १ चंद्र. २ थोडे. ३ स्त्री. .......... . ।

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