Book Title: Bhimsen Harisen Charitra Author(s): Amolakrushi Maharaj Publisher: Pannalal Jamnalal RamlalPage 54
________________ ( ५२ ) " आराम तो ॥ जो० ॥ १३० ॥ राय जमाइ दू| देवे, षट मास अंतरे निकले दोय तो ॥ एक तो हाथे लागसी, इम सुण नीम हृदय खुश होय तो ॥ कहे सुशीलाने यने, सेठ नोकरी बधावे नही कोय तो ॥ खरच न पूरे आपणो, एक उपाय सुणाव्यो छे मोय तो ॥ जो० ॥ १३१ ॥ ह्याथी दुवादश जोजने, पूर पठाणे नोकर रखे जोय तो ॥ में जाइ नोकरी करी, एक मासमें आसूं पाछोय तो ॥ थे इहां रही पुत्र पालजो, इम सुण राणीजी दीघो छे रोय तो ॥ प्राणेश्वर इल दुःखमें, चारी जामें न पाडो विछोय तो ॥ जो ० ॥ १३२ ॥ राय कहे लस्कर विषे, महीलाने रहवानो अवसर नोय तो ॥ साथ रख्या जावे नही, एक महीनामें थांरो कांइ खोय तो ॥ थे निनावजो कुंवरने, कुंवर रायने आइ कूम्या दोय ॥Page Navigation
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