Book Title: Bhimsen Harisen Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

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Page 95
________________ अपले नगरेव तो ॥ बाप राख्या नहीं फोजमें, घस्सी मुजघर धराथी ठेव तो ॥ शु० ॥२३॥ अरीजय कहे नरमाइने, मूल हुइ माफ करजो देव तो॥धीमजी कहे दोषण नही, कर्म तणी खोटी एहवी टेव तो ॥ म्हारा बान्ध्या भोगव्या, हिलमिल रही चल्या सीख लेव तो ॥ते तो पोतानेपुरे गया, नीम कुटंब खुष अमोल केव तो॥शु०॥२३॥ पुंन्य फल्याथी फले सहु, शुनोदय शुन प्रगटाय ॥ ते पुद्गल फिरे विश्चमें, अरी फिट सज्जन पाय॥१॥ भीमसेणनी कही चरी, हिवे पाछल अधिकार ॥ चमत्कार जन जोवजो, पुंन्य पादार्थ सार ॥२॥ ढाल-सतीने सिरोमणी अंजना ॥ ए देशी ॥ जिण दिनथी नृप पुंन फल्या, तिथी उज्जेनी

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