Book Title: Bhimsen Harisen Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

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Page 117
________________ (११५) अथ पुण्य प्रभावक श्री लक्ष्मीपती चरित्र प्रारंभः लावणीकी चाल. पुण्य चीज है बडी जक्तमें, सुख मिलते अपरंपारे । लक्ष्मीपती शुभ पुण्य उदयसे, तिर गय सागर संसारे ॥ ए टेर ॥ अंग देशमें चंपानगरी, कौणिक वहांका था राजा। न्याय नीतीवंत परजापालक, रुपतज अंगमें ताजा ॥ धन्ना सेठजी वहांपर रहते, *वसू इभ धन घरमाही । नगर सेठकी पद्वी उनको, नृपने दीधी हित लाइ ॥ पांचलाख दुकानो जिनकी, अंग मुलकमें फेलाइ । लाखो मुनीम गुमास्ते जिनका, काम काज रहे चलाइ ॥ दशबोल सम्पूर्ण घरमें, ऊणा नहीं सुख लगारे॥ लक्ष्मी. ॥१॥ चौथा अनुत्तर विमानसे चव्याहै, पुण्यवंत उत्तम प्राणी। गर्भ धरीहै पुण्य उदयसे, कमलप्रभा थी सेठाणी ॥ लक्ष्मी स्वपना देखा सुन्दरी, प्रीतमसे कहा जोड पाणी। . * हाथीको सुवर्णके ढगलेसे ढकदेवें उसे १ इभका द्रव्य कहते है ऐसा ८ ईभका धन वसुपत नीका था. १ हाथ...

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