Book Title: Bhimsen Harisen Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal
View full book text
________________
(११८ ) राजा गुमास्ते भेले होके, याद करते कुंवरजीको । आपके डरसे हम नहीं कहती, मारमारी मुज चेटीको ।। जो कुंवरसाब नही जावेतो, तोपसे मेहलकों उडावे । यह समाचार देनेकों आइ, मेरा जीव बहु दुःख पावे ॥ कुंवर कहे हम मिलेंगे राजासे, देखेंगे वो कैसारे ॥ लक्ष्मी. ॥१०॥ कुंवराणी कहे साथ आयंगे, दासी कहे यों नहीं होवे । अब्बी कुंवर मिल पिछे आयंगे, सबी रस्ता इनका जोवे ॥ लक्ष्मीपतजी चले मिलनको, कुवराणीके आंश्रू आया। सुखे २ मेहल बाहिर पधारे, सबी देख अश्चर्य पाया ॥ सूर्य सरीखा तेज उनोका, गुलाबी पडते उजीयारे॥लक्ष्मी.॥११॥ सबी जणा बहोत आदर देके, उंचे ठिकाने बेठाया। चेहरा तोर खुबसूर्त देखके, कौणिक राय दिल्ल सरमाया । पुरंद्र सरीखा तेजपुंज्य महा, ऐसा पुरुष मेने नहीं देखा। टुक लगाके देखे सामने, दिल्लमें पुन्यका करे लेखा ॥ सबकी द्रष्ट अचूक कुंवरपे, इनने पुण्यकिया पुरारे॥लक्ष्मी.॥१२॥ भूपत कहता अहो कुंवरजी, तुम पिता गये परभव मांहीं । ये सबी गुमास्ते आपके काम बन्धकर आये ह्यांही ॥ दुकानदारी किस्तरे चलाना, इनको हुकम तुम फरमावो ॥ नगर सेठकी पद्दी संभाली, बापके नामको बडावो ।

Page Navigation
1 ... 118 119 120 121 122 123 124 125 126