Book Title: Bhimsen Harisen Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

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Page 99
________________ ( ९७ ) गुलगुलाट शब्द गाजे ज्यों मेघज तो ॥ कूल बहु रंग सुहामणी, घंटा नाद सुणावे सुखज तो॥ ॥ पु० ॥ २४५ ॥ तुरंग सुरंग कुरंगे परे, चपल चौफाला रोषे असूरज तो ॥ पलाण खसी मूरा वसी, हणणाट करे सोन घंणी छज तो ॥ संग्रामी रथ ऊणणा रह्या, जरी तणी खोल रही फल कज तो॥ सर्व शस्त्रे पूरण नर्या, उपर सोने छ बहू रंग धज तो॥ पु० ॥ २४६ ॥ शूरा शूर रसमें चड्या, वक्तर शस्त्र लिया छे अंग सज तो॥ मदछक मतवाला हुया, अरी जीतण शब्द बोले बेलज तो ।। वोजे धरणी थर थरे, आकाश माहे चडी छे रज तो ॥ वनचर चाग गिरे छिप्या, नीर सरोवर गया स्योशज तो ॥ पु० ॥२४७ ॥ केइ राजाने ममावता,दुशमणने नागंता बलज तो॥ घोडा. १ हिरण. ३ धना. ४ पाणी. -

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