Book Title: Bhimsen Harisen Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal
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थी रखे न्हाखे मार तो ॥ धैर्यथी काम कीजीये, हम आगे जाइ केवां अनुहार तो ॥इम कहीं एवंती थकी, जूना उमराव मिल्या दो चार तो।। जाइ नेटा भीमसेणने, सामें बेठा करी नमस्कार तो॥ पु० ॥ २५१ ॥ अांखे (श्रू वर्षावता, कह्यो सहू हरीसेणनो तार तो॥ जित्ते तोहरीसेण छूटने, दोडी बाया अणवाणे छुट्टा बार तो॥ वस्त्रानुषणकी शुद्ध नहीं, नीम नाइके पड्या चरण मकार तो ॥ काठा चरणयुग पकडने, रोवा लाग्या जोरसे बूंब पार.तो ॥ पु० ॥ २५२ ॥ में नीच पापी में दुष्ट छु, में चंड्डाल मोटो गुन्हेगार तो॥ कृत्वनी में हीन पुनीयो, आपके हाथे न्हाखो मने मार तो तो म्हारी गती सुधरसी, पृथ्वी नहीखमीसके मुज जार तो॥ मुज सरीखो अकृतीयो और नहीं कोई श्रेष्टी मकार तो॥ पु० ॥ २५३ ॥ उत्तम वंशद
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