Book Title: Bhimsen Harisen Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

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Page 112
________________ (११०) कपट नावें तुम तदा, थाणी स्त्रीने गले दियो घाल तो॥ ध० ।। २७९ ॥ दो चाकर एक चेटीका, तीनी देखतां गयो म्हारे घर तो ॥ जाण्यो फिर देशे मुज नणी, दूजे दिन ते माग्यो जेवर तो॥ थे नटया में विलखो हुयो, चाकरने पूछ्या दियो ना उत्तर तो ॥ चेटी नोली हां कह्या, थें तस मा. री बतायो थोडर तो॥ध० ॥ २८० ॥ में चुपक्यो निज घर गयो, अती मन माहे करतो फि. कर तो॥ जाण्यो म्हारी नारीये, अती दुःख उपनो तस उर तो ॥ तुम दामीने निकाल दी, दोनो चाकरको कियो अादर तो ।। लद पाक तेल.थांणे हतो, मुनी लेण पाया तुम लोन धर तो॥ ॥ध० ॥ २८१ ॥ असुजतो तीन दिन कियो, अंतराय ते बांधी जब्बर तो ।। श्रीपाल नीमसेण तुम, गुणचंद्रा में गया नवको मिंतर तो ॥ तुम

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