Book Title: Bhimsen Harisen Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

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Page 107
________________ शैन्य सज्जने परवर्या, मध्य बजारे चाल्या उमाय तो॥ सुशीलाजी सज्ज हुइ, रथमें बेठी दास्याची घेराय तो ॥ बाजे गगन गर्जावता, चाल्या मुनी दर्शनकी इच्छाय तो॥ नव्य गण घणासंग हुया, केइ दर्शण केइ प्रश्न चाय तो॥ १०॥ २६६ ।। केइ प्रषदा देखवा, केइ सज्जन मिलवाने जाय तो।। सर्व जन संघ प्रवर्या, अनीगम संच गुरू पास आय तो ॥ यथा विध वंदना करी, नम्र नाव बेठा सुणवानी चाय तो ॥ परउपकारी ऋषीवरा, यथा उचित उपदेश फरमाय तो ॥ ध० ॥ ॥२६७ ॥ श्रुत्व श्रोता गणो, यो जीव लह चौरासी भ्रमंत तो॥ तानसे त्रीचालीस राजूमें, कोइ स्थान खाली न राखंत तो ॥ नव श्रेणी कुण वरणवे, इणपरे काल वीत्यो छे अनंत लो। १ पावांग्य. २ सुगा हो.

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