Book Title: Bhimsen Harisen Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

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Page 62
________________ पन्न तो॥ मने काइ लाइ दियो नही, राणी कहे करूंकिस्यो जतन तो॥जो०॥ १५२ ॥ काम करायो म्हारे कने, मांग्यो तो कांइ दियो नही धन्न तो॥ कयो में काले देवस्यूं, दिन उगा जाइ लास्यूं तदिन तो। तुम पिता काले श्रावस्ये, मेवा मिठाइ लासे पक्कन्न तो ॥ लाडू पेडा जलेबी सेवा, कलाकंद गुपचुपपेठा मक्खन्न तो॥जो०॥ ॥ १५३ ॥ मालपूवा दिर राबडयो, हलवो लाफसी तंबोल चूरन्न तो॥ पेट नरीने जिमावस्यु, सरस माल कर पेट पूरन्न तो ॥ मुख सोदन करजो बली, तेहथी होसी अन्न पचन्न तो॥ अबी रात पूरी होवसी, इम सुण कुंवर धरी धिरपन्न तो ॥जो० ॥ १५४ ॥ दोइ कुंवरने समजावीया, राणी नूख ठंडथी घबराय तो॥अांखे यात्रु तड २ पडे, टंडयी अंग थर २ थरर्राय तो ॥ जेष्ट तनुज

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