Book Title: Bhimsen Harisen Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

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Page 69
________________ (६७) धीरज लाइ मन विषे, चाल्या धनदत्त सेठ संगात तो ॥ आयूबल पुन्न जोगथी, नीमजीनी टली मोटी ए घात तो ॥ सुख दुःख कर्म प्रमाणथी, ते हे चरित्र भागे वरणात तो ॥ अमोलिक रिख क हे सांगली, कर्म बन्धनथी डरीये भ्रात तो॥ ॥जो० ॥ १७२ ॥ || दुहा ॥ अशुन कर्म निष्टुर घणा, नुक्त्याही छोडे लार ॥ सुशीला शिशुते कोपीमें, दुःखथी करे गुजार ॥१॥ नद्रा अावी एकदा, राणी कुंवर तिहां देख ॥ गाली वदे अलखामणी, प्रजली क्रोधे विशेख ॥२॥ कूटी काढया घरथकी, दी कूपडीमें भाग ॥ वस्त्र मांडा सहु बल्या, तीनी गया तब नाग ॥ ३ ॥ जाग न दे कोइ ग्राममें, भाया ग्राम कोट पास॥ टूटा साकट ने तले, बठा मानी घर तास ॥ ४॥

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