Book Title: Bhimsen Harisen Charitra Author(s): Amolakrushi Maharaj Publisher: Pannalal Jamnalal RamlalPage 73
________________ ॥ १७९ ॥ मरकंट एक बायो तिहां, गोदडी ले बेठो तरू डाल जाय तो ॥ न्हाइ अाया नीमजी, गोदडी जोता नही देखाय तो ॥ मुरछाइ धरणी पड्या, जलबिन मीन परे तडफडाय तो ॥ विणंतरे सावध हूइ, जोवे चारूं तर्फ द्रष्ट लगाय तो ॥ जो० ॥ १८० ॥ मानवी कोइ दीसे नही, ते अलोप होगइ किण जाग तो ॥ चिंतवत उंचा जोइयो, कंपी कर कंथा देखी छे थाग तो ॥ फुटाणा खावा धर्या, मधुर वयणे बुलावे ते खाग तो॥ ते नीचे उतरे नही, तब नृप चडवा लाग्यो वृदा ग तो ॥ जो० ॥ १८१॥ बंदर गयो बीजा झाड पे, नपती तिण पाछल करी लाग तो ॥ देखत २ माकैडो, गिरी काडीमें दूरे गयो नाग तो ॥ पतो न पायो राजवी, नृप तिहाइ रहगया गाग १ "बंदर. २ मच्छी ३ मूंजचिनें.Page Navigation
1 ... 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126