Book Title: Bhimsen Harisen Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

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Page 87
________________ (८५) वर्ष बिगवो रह्यो, उनकी दिशा कैसी होसीजनाप तो ॥ शु०॥२१४॥ इम सुण सब पालाचल्या, इत्ते नेने वाणी हुइ आपोआप तो।। सौनयादि वस्तु किसी, दुसरो लेस्ये तो शिर न्हावू काप तो ॥ मर्व माल नयाँ स्थमें, इत्ते केपी ते कूदतो काड काप तो ॥ कंथा लाइ न्हाखी नीमपे, लोक फेंकण लाग्या तेहने ताप तो ॥ शु० ॥ २१५॥ नीमजी कहे न्हाखो मती, गोदडीमें गोरख छ छिपात तो ॥ इम सुण ते रथमें खी, इतरे सिद्धना नेत्र गया जांप तो॥ आगे तिणने दीसे नहीं, घबराइ पाछो फियों उदय पाप तो ॥ जीमजी पासे सुरं रख्यो, पग लाग्यो सिद्ध नृपने कांप तो ॥ शु०॥ २१६ ॥ मने उगारों कृपा , आकाश. २ बंदर. ३ गोदडी. ४ तुंबावालोयोगी ६ ढकगये, ६ देवता. ७धूनता. - -

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