Book Title: Bhimsen Harisen Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

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Page 83
________________ (४१) छुटे नही, जाणी किम करो एहवा स्वांग तो॥ ॥शु० ॥ २०४ ॥ वीत्यो विरतंत राजवी, आदी अंत सहू दीयो सुणाय तो ॥ धैर्य देई ऋषीवर कहे, जेहवा बांध्या तेहवा मुक्तयाय तो॥ मर्याथी अधिक बधे, बदलो दीया शिघ्र छुटको थाय तो। पस्ताया ज्यादा बंधे, समता राख्याथी दय जाय तो ॥ शु० ॥ २०५ ॥ जिम सुख नही रह्यो थायरो, तिम कांइ कायम नहीं ए रहाय तो ॥ राय कहे तेहत बचन प्रर्, अमोघं प्रापरी वाणी कहवाय तो ॥ अब सहू दुःख गयो महारो, इणमें संदेह रत्तीनर नाय तो ॥ चंचल नाव मुनिवर कर्या, कुद्यो टालण वक्ते उपाय तो ॥ शु० ॥ ॥ २०६ ॥ महीप पूछे कर जोड़ने, किहां पधारणो कार्य काय तो ॥ मुनी कहे पारणा कारणे, १ अचूक. २ मूल.

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