Book Title: Bhimsen Harisen Charitra Author(s): Amolakrushi Maharaj Publisher: Pannalal Jamnalal RamlalPage 82
________________ (60) भाग्य तो ॥ नीमसेण सा थें दिखो, अयवंतीपुरी तणा जेह नागे तो ॥ किम पाया इहां किम दिशो, सरीर कुमलाणो पड्या दिसे दाग तो ॥ नीमजी जोवे उपयोग दे, सम्यक्त्व दाता गुरू जोई जाग तो॥ शु० ॥२०२ ॥ धन घडी या माहेरी तरण तारण मुज तार्यो याग तो ॥ अतं समय दर्शन दिया, इम कही पाश्रू छुट्या तडाग तो॥ मून रह्यो छाती जरी, नीची द्रष्टी रह्यो जोग वार्गे तो ॥ करुणासिंधू कहे स्युं कह्यो, प्रातम हित्यानो लगे मोटो दाग तो ॥ शु० ॥ २०३ ॥ अ. नंत संसार एथी बधे, बाल मरण ज्ञानी कह्यो साग तो ॥ घणा नवे इमही मरे, बोध बीजको विणस्यो छागं तो ॥ जाणीता श्रावक होयने, एहवो करणो नही इदागं तो ॥ माथी दुःख १ मालक. २ मरती वक्त ३ चूप. ४ झुकके. रस ६ इनाग वसी.Page Navigation
1 ... 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126