Book Title: Bhimsen Harisen Charitra Author(s): Amolakrushi Maharaj Publisher: Pannalal Jamnalal RamlalPage 72
________________ (७०) माले कियो, कर माला-गोदडी सिरठाय तो॥इम अक्कले युक्ती सजी, मंगत रूपे नूप चल्या जाय तो । ठग तस्कर लागे नही, धनको किणने वैम पडे नाय तो॥ जो० ॥ १७७ ॥ उत्तम वस्त्रनी पोटली, गुप्त रखी छे वक्ते कामे आय तो ॥ लुख तुछ अहार नहाण करी, शिघ्रगती भीमजी चाल्या जाय तो ॥ कितिप्रतिष्ट कने अावीया, वि. चार उपनो मनरे माय तो॥ोलखे मुज इण ग्राममा, मंगत रुपे किम जायो जाय तो ॥ जोक ।। १७८ ॥ ए रूप राणी कंवर लखी,रखे घस्का. इ प्राण तजाय तो ॥ स्नान करी वस्त्र सजी, फिर जाउं सुखे ग्रामरे मांय तो ॥ तलावनें काठे गया, कथा तुम्बी रखी एक ठाय तो ॥ न्हावा पेठा पाणीमें, एतलें अशुन कर्म प्रगटाय तो !! जो ॥ १ गादडी.Page Navigation
1 ... 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126