Book Title: Bhimsen Harisen Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

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Page 70
________________ (६८) काम करी कुंनारनो, मृतिक बरतन प्राय ॥ पीसी पोइ पाणी नरी, सूको बासी अन्न लाय॥५॥ पहला धपाइ कुमरने, बधे ते खावे आप ॥ विद्रु पा वदन नया, सही नूख शीत ताप ॥६॥ महा दुःखमें काल निर्गमें, धरे रायनो ध्यान ॥ मायडी पाले पुत्रने, हिवे नीमजीनो बयान ॥७॥ ढाल-सतीने सिरोमणी अंजणा॥ ए देशी॥ धनदत्त सारथवाह संग, धैर्यधर नीमजी चल्या जात तो ॥ उत्तम गुण देखी रायना, साथना सहू जणा प्रेम जणात तो ॥ पाया धन्नापन्ना शेहरमें, योग जागा जोइ सह उतरात तो ॥ उधारो धन्न दीयो नीमने, पांती प्रमाणे जमीन बेंचात तो॥ जो० ॥ १७३ ॥ पारक्षक परिक्षा कर दीवी, उत्तम जागा राय खोदात तो॥ शिला पट निकल्या तिहां, कारीगर पास तेह चिरात तो॥

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