Book Title: Bhimsen Harisen Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

Previous | Next

Page 60
________________ (५८) डावो थां म्हने वस्त्र खंड तो ॥ सुशीला कहे नाइ सुणो, काल पासी तुज पिता लेइ नं. तो । ॥ जो० ॥ १४७ ॥ गादी तकीया दुशाला सिरे, लावसे उम्दा रजाइ प्रचंड तो ॥ कोट कबजो कु. डतो अंग्गी, लबादो नारी रुइमें मंड तो ॥ पाजामो धोती रेशम तणी, टोपी मंडिल जरी मय ऊंड तो ॥ पेरी फिरजो आनंदमें, ठंडनो सब उतर जासी घमंड तो ॥ जो० ॥ १४८ ॥ थे उघाडा बठा मातजी, थाने पण लगती होसी ठंड तो ॥ राणी कहे कांइ करूं, लेंगो लूगडो तुम तन दियो मंड तो ॥ निवास तिणमें छे नही, ठंड किम छोडे तुज मुज पिंड तो ॥ मुज सारू रायजी लावसी, घाघरो प्रोडणी चोलीनो खंड तो ॥ जो० ॥ ॥ १४९ ॥ मुज तुज ठंड तब जावसी, विश्वास १ बरतन. २ जाडी.

Loading...

Page Navigation
1 ... 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126