Book Title: Bhimsen Harisen Charitra Author(s): Amolakrushi Maharaj Publisher: Pannalal Jamnalal RamlalPage 53
________________ ( ५१ ) तमाम तो ॥ लक्ष्मीपतने राजा कहे, मुज नोकरीमें बधारो दाम तो || दो रुप्याथी पूरा न पडे, पहेला लियो ते खुट्यो सराजाम तो ॥ खावाने कु छ रह्यो नही, इत्ती कृपा जूं करो स्वाम तो जो जो कर्मणि ॥ कडी ॥१२८॥ लोजी वाण्यानी जातडी, दाम न देवे जो काटे चाम तो || दो रुप्यासे ज्यादा न देउ, ज्यादा चहीयेतो जोवो अन्य ठाम तो ॥ नृपत तब चुपका रह्या, मनरी कांइ पूगी नही हाम तो ॥ चिंतातुर वेठा तिहां, एक पुरुष पासे यायो ताम तो ॥ जो० ॥ १२९ ॥ चिंतानो कारण पूछयो, वीतक बात कही तस नाम तो ॥ ते कहे फिकर मत करो, कहु उपाय पुरपयठाणा' गाम तो ॥ तिहां जाइ नोकरी करो, बत्तीस रुपया मास देशी जो काम तो ॥ वस्त्र जागा मिलते वली, पयदल फोजमें पासो (Page Navigation
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