Book Title: Bhimsen Harisen Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

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Page 52
________________ ( ५० ) काला दाम तो || पाछे उत्तर आप्पो नही, तब राजा कहे सेठी ग्राम तो ॥ चडी नोकरी मुजने देवो, जिथी चला टक्यो काम तो ॥ क० ॥ ॥ १२६ ॥ दो रुपया दिया सेठजी, घर विखेरो लीयो सराजाम तो || लेइ याया बाडा विषे, रा णी निपाइ रसोइ ताम तो ॥ इम चारूं इहां रहे, देखा कर्मगतीना काम तो ॥ तीजो अधिकार कर्म तणो, रिख अमोल कह्यो इ ठाम तो ॥६०॥१२७॥ ॥ दुहा ! जे जे दिशा जब प्रगटे, बधे तेहनो जोश ॥ सकर्मी ते अनुभवे, न दो किलरो दोश ॥१॥ कुबेर चाले जे चल्या, ते कृपण न थाय ॥ जे अटूट ध न वावर्यो, दो रुपिये सी थाय ॥ २ ॥ ढाल - सतीने सिरोमण अंजणा || यह देशी ॥ जे सामान लाया हूंता, ते खूट गयो थोडा काले

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