Book Title: Bhimsen Harisen Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

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Page 35
________________ ॥ दुहा ॥ - कर्म करंता सोहला, जोगवतां दुःख देय ॥ बन्धन सम उदय लहे, नोग्याथी ते टलेय ॥१॥ शुन गये अशुनोदय, राय तणां रंक होय ॥ पहले प्रहर सेजे रम्या, छेले नूमी ते सोय ॥२॥ सह कुटुंबे नीमजी, नोगवी जेह विपत ।। कंपित हृदय ते कथु, सुणजो धरी सुमत ॥३॥ ॥ ढाल-सतीने शिरोमण अंजना ॥ यह देशी ॥ निशागई रखी उगीयो, नीम सह कुटुंब जायत थाय तो ॥ दूषण नाजन पेखतां, नही दीगथी मन धस्काय तो ॥ राणी मुर्छा खाइ पडी, अरर दुःख एकदम किम प्राय तो॥ सावध करी राजा कहे, रोवणरी ए वक्त छे नाय तो॥ कर्म तणी कथा सांगलो-ये प्रांकडी।। ८१॥ १ रात. २ सूर्य. ३ डब्बा... -

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