Book Title: Bhimsen Harisen Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

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Page 39
________________ (३७) ॥ ८९॥ तिणरा रुदनथी वनमें, खेचरं जूंचर मिलीया छे गम तो ॥ नेत्रथकी पाणी पडे, कोइ कहे महीपर्ने रह्यो थम तो ॥ कुंवर दोइ रुदन थकी, थाकीने पड्या धरणीपर धम तो॥ एक महोतने अंतरे, राजाजीनो ठामें आयो दम तो ॥ क०॥ ॥९० ॥ नेत्र उघाडी जोवे तदा, तीनाने पडया देख्या नूं सम तो ।। मनमें धैर्य लाया तदा, सावध कर्या तीनू दे विश्रम तो॥चारी सरीर लूला हुया पहलाइ प्रकृती ढूंती नरम तो ॥ सहाशे निश्वासां न्हाखता, पागल मन किधी परिभ्रस तो ॥क०॥ ॥९१ ॥ आगे धरे पग पाछे पडे, मनथी उदासी न होवें कम तो॥ नूख लागी बालक मणी, पेटरे माय करे चम २ तो॥ दूध राबडयो किहां रह्यो, छाछ राबडी पण नही जम तो॥ कुमरनो मुख दे१ पक्षी. २ जानवर ( पशु ) ३ समोह ४ नदी बहती अटकी.

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