Book Title: Bhimsen Harisen Charitra Author(s): Amolakrushi Maharaj Publisher: Pannalal Jamnalal RamlalPage 41
________________ (३९) ढोय तो। खावजो पेट नरी तुमें, इम धैर्य दे च. लावे सोय तो ॥ वार २ वीसामो लेवे, ठाम २ कुंवर राणी दे रोय तो ॥ क० ॥ ९५ ॥ बहु ससमजावे राजवी, विश्वासी चलावे अागेकी नोय तो ॥ पित्त पडे कंठ शोसी रह्यो, तमाल पावे घरणी ढले सोय तो॥ नूप इम तिम दोडने, तंतूं लावे सरवरथी नजिोय तो ॥ जल छांटी पवने करी, तेथी तीनोही सावध होय तो ॥ क० ॥ ॥ ९६ ॥ इम विपत्ति सहता थकां, दितीप्रतिष्ट कने आया लोय तो ॥ बावड़ी एक दीठी तिहां, चारी बेठा जोवे क्रिडा तोर्य तो ॥ नूप कहे जाऊं में माममें, उदर पोषणको करूं परचोयं तो॥ तुम तीनो बेठा रहो इहां, थोडी देरमें प्रारयूं पाछोय तो ॥ क० ॥ ९७ ॥ इम कही गया नृप - ? उठा. २ चक्कर. ३ कापडो. ४ पाणीकी. ५उपाय. -Page Navigation
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