Book Title: Bhimsen Harisen Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

Previous | Next

Page 49
________________ (४७) री पती हाथथी, बजार माहे दीधा छे चाय तो॥ इणने निकालो घर थकी, जो मुजने घर राखी चाय तो॥ क. ॥ ११७ ॥ सेठ कहे ये ऐसा न ही, कूटो नही दीजे माथे बाल तो ॥ वक्त पड्या बाया इहां, इण तणी कीजे प्रतिपालतो ॥ नद्रा सुणी क्रोधे नरी, श्राख्या तक्षिण कधिी लाल तो ॥ अरडाइ बोलन लगी, फूगाइ मुंडाने दोनो गाल तो ॥ क० ॥ ११८ ॥ हां में जाणी मन तणी, तिणने थे लेसो घरमें घाल तो ॥ चिन्ह देखी में जाणथी, या अवदिशा घर अाइ छिनाल तो॥ तुम पण तेहथी मोहीया, न बोली इत्ता दिन देखी चाल तो ॥ हाक सुणी रस्ता विषे, थट्ट जम्यो लोकको तत्काल तो ॥ ॥क० ॥ ११९ ॥ तर्जनिये दाखे राणी नणी, राणीने अंगे उठे काल तो॥ शरमाइ बोले नही,

Loading...

Page Navigation
1 ... 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126