Book Title: Bhimsen Harisen Charitra Author(s): Amolakrushi Maharaj Publisher: Pannalal Jamnalal RamlalPage 48
________________ णी ले कूडे हाथपे आय तो॥ तदा पवनना जो मथीं, चूंघट उडयो सेठ द्रष्ट लगाय तो ॥क० ॥ ॥ ११४ ।। सेठाणी देखी प्रजली, चिंतवे सेठजी इणथी मोपाय तो।। म्हारो तिरस्कार करे रखे, इण ने घालसी घररे माय तो ॥ कोइ उपाव रची करी, घरथी इणने देवू निकलाय तो॥ ए फंद कट सी जिण दिने, तबहीज म्हारो जीव सुख पाय तो ॥ क० ।। ११५ ॥ कुठो बाल चढाववा, पीयर मेले वस्तु चोराय तो ॥ घी गुड चून दालादिक, वस्त्र पात्र देवेछे पहोंचाय तो नाम लेवे राणी तणो, चोरीने बेटा घणीने खवाय तो ॥ में एकली एतो घणा, चोकस राखु किण २ ठाय तो ॥क. ॥ ११६ ॥ खाली ठाम मुख आगे धरे, सेठजी देखी अश्चर्य पाय तो॥ बरतन दुकाने ले गया, सेठ कहे हूं तो लेगयो नाय तो ॥ इण चोPage Navigation
1 ... 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126