Book Title: Bhimsen Harisen Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

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Page 36
________________ ( ३४ ) सरीरपर ग्रहणो घणो, सब उतारी बांधो पोटली मांय तो ॥ योही माल खुट छे, रहस्या इथी गुजरान चलाय तो ॥ इम सुण भूषण उतारया, वस्त्र फाडी तस गांठ बंधाय तो ॥ चारों तिहांथी चालीया, दोइ दोनुं पुत्र कडीये चडाय तो ॥ क० ॥ ८२ ॥ गठडी राणी शिरपर धरी, मन माने रस्तें चाल्या जाय तो ॥ सोजाथी पाव उठे नही, वायु अंगने जरा न सुहाय तो ॥ जीणा फाटा वस्त्र पेहरवा, मनुष्य देखी राणी घणी लज्जाय तो || कोमल पगे कंकर चूबे, जस्करे खर्गे चडयो तेज फेलाय तो ॥ क० ॥ ८३ ॥ गे नृप पीछे राणीजी, इम चालता सरीता कंठ आय तो ॥ नृप पेलेपार ऊट गया, कुंवर कहे प्यास लागी छे माय तो || नीचे उतारी कुंवरनें, धन ९ सूर्य. २ आकाश. ३ नदी.

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