Book Title: Bhimsen Harisen Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

Previous | Next

Page 22
________________ (२०) ॥४५॥दासीने पूछे तदा, तटकी कहे ते खबरन मोय तो॥हरीसेण चितमें न धरी, बागेचल्यारोवण राग सुण्योय तो॥ औरीमें जाइ जोवे तदा, खुणे पडी अर्धांगना रोय तो ॥ अश्चर्य पायो अतिघणो, कहे व्यर्थ तन्नने क्यों तूं वीगोय तो॥त्रि-॥४६॥ उठावे हाथ धरी करी, तिम २ अधिक करे पश्चाताप तो ॥ कंथ कहे रोयां कांइ हुवे, मनमें होवे ते बात कहो साप तो ॥रोती २ नारी जणे, प्रायो मरण मुज मूणीजो आप तो॥ अांकडीली में लघू. पणे, चंडिका पास एकंत चुप चाप तो ॥ त्रि.॥ ॥४७॥ हुबारे बर्षने मायने, महारा पती होसे राने थाप तो ॥ तो पूजा करस्युं थायरी, नहीतो नारी हित्यानो देश्यु पाप तो॥ पुरी हूइ ते मानतां, आपने राजतो नही हूयो प्रापं तो ॥ काले मरस्यूं. १ स्त्री. २ खराब करे. ३ प्राप्त, -

Loading...

Page Navigation
1 ... 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126